गर्मी के दिन थे। बादशाह ने उसी फाल्गुन में सलीमा से नई शादी की थी। सल्तनत के सब झंझटों से दूर रहकर नई दुलहिन के साथ प्रेम और आनंद की कलोलें करने, वह सलीमा को लेकर कश्मीर के दौलतख़ाने में चले आए थे। रात दूध में नहा रही थी। दूर के पहाड़ों की चोटियाँ चतुरसेन शास्त्री
एक लाठी निकाली और कालिया की मरम्मत कर दी।
बिच्छू ने अपने स्वभाव के कारण संत को डंक मारकर नाले में गिर गया।
मोती ने गाय को गले लगा लिया, बचाने के लिए धन्यवाद कहा।
मरने के पहले पागल बिशन सिंह की गाली, भारत और पाकिस्तान के लहूलुहान बंटवारे पर एक ऐसी टिप्पणी बन जाती है, जो अब विश्व कथा साहित्य में एक गहरी, मार्मिक, अविस्मरणीय मनुष्यता की चीख़ के रूप में हमेशा के लिए उपस्थित है :
फिर भी आपने उसको अपने हाथ से बचाया। आप ऐसा क्यों कर रहे थे ?
एक बार सूरज, पवन और चन्द्रमा अपने चाचा-चाची बिजली और तूफ़ान के घर दावत खाने गए थे। उनकी माँ, जो दूर सितारों में से एक थी , अपने बच्चों का वापस आने का इंतज़ार कर रही थी। दावत में, तरह तरह के पकवान थे। सूरज और पवन ने जम के दावत के मज़े उड़ाए। पर चन्द्रमा को अपनी अकेली माँ का ध्यान था इसलिए उसने खाने के साथ साथ थोड़े से पकवान माँ के लिए भी रख लिए।
'मौत के कुंए' में रैप करने वाला वो भारतीय जिसने रैप की दुनिया के बड़े खिलाड़ियों को छोड़ा पीछे
मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।
इमेज कैप्शन, मन्नू भंडारी ने 'यही सच है', 'अकेली' और 'मैं हार गई' जैसी प्रसिद्ध कहानियाँ लिखीं.
दोनों ने सावित्री की मदद करने की ठानी। सांप ने रस्सी से जुड़ कर रस्सी को लम्बा बना दिया और मेंढक घड़े में इस तरह बैठ गया की घड़े छेद बंद हो गया। सावित्री पानी निकाल कर ख़ुशी ख़ुशी घर चली गई।
गांव के लोगों में उसका डर था। गांव में रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे।
वह कौन-सा मनुष्य है जिसने महा-प्रतापी राजा भोज महाराज का नाम न सुना हो! उसकी महिमा और कीर्ति तो सारे जगत् में व्याप रही है, और बड़े-बड़े महिपाल उसका नाम सुनते ही काँप उठते थे और बड़े-बड़े भूपति उसके पाँव पर अपना सिर नवाते। सेना उसकी समुद्र की तरंगों राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद
''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके read more आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर